
यह एक हिंदी प्रेरक कहानी है , जिसमें की एक गांव में चंदू का एक लकड़हारा रहता था , वो रोज जंगल से लकड़ीया काट कर शहर और गांव में घूम घूम कर बेचा करता था । वो अपने गरीबी पर बहुत दुखी रहा करता था , क्यों कि कभी कभी उसकी लकड़ियां नहीं बिक पाती थी और पैसे के अभाव में वो बहुत मुश्किल से अपना परिवार चला पाता था ।
एक दिन चंदू अपना कुल्हाड़ी लेकर जंगल में लकड़ी काटने गया था , मगर दुखी होकर एक पेड़ के नीचे बैठा था । तभी एक घायल कबूतर उसके करीब गिर कर छटपटाने लगा , चंदू उसे तड़पता देख तुरंत उठाकर अपने घर लेकर आया और मलहम पटी लगाकर अपने घर पर ही सुरक्छित जगह रख दिया ।

किसी को कब क्या मिल जाए कुछ पता नहीं होता ।
दो दिन तक चंदू उस कबूतर का देख भाल करता रहा फिर तीसरे दिन जब कबूतर के पास आया तो देखा कि वहा पर ढेर सारी मोतिया पड़ी थी । चंदू ये देख कर बहुत चकित हुआ फिर मोतियों को उठा कर रख लिया । चंदू के मन में सका हुआ कि ये आया कैसे , इसलिए वो निगरानी रखने लगा ।
फिर अगले दिन सुबह चंदू ने देखा कि कबूतर ही अपने चोंच से मोतिया उगल रहा था । ये सभ चंदू देख कर काफी हैरान हुआ फिर उस दिन से वो कबूतर को एक बड़ा पिंजड़ा में रखने लगा , ताकि ये भाग न पाए और मोतियों को बेचकर उससे बहुत ज्यादा पैसा कमाने लगा ।
आखिर लालच में आकर चंदू अपना नसीब बिगाड़ दिया ।
इस तरह से धीरे धीरे अब चंदू की गरीबी दूर होने लगी और सुख का दिन आने लगे । चंदू अब जंगल में लकडिया काटना छोड़ दिया और ऐसों आराम की जिंदगी बिताने लगा । चंदू के ठाट बाट को देख कर इसके गांव के सारे लोग हैरान थे कि आखिर इसके पास इतना धन कहा से आया ।
तभी एक दिन चंदू मन में और भी ज्यादा धन कमाने की लालच आ गई । वो सोचा कि कबूतर थोड़ा थोड़ा कर के मोती उगलती है , अगर हम इसका पेट फार देंगे तो एक साथ बहुत सारे मोती मिलेंगे । यही सोच कर चंदू एक दिन चाकू से उस कबूतर का पेट फार दिया , पेट को फाड़ते ही कबूतर तो मर गया लेकिन चंदू को एक भी मोती नहीं मिला । इसी लिए कहा गया है कि लालच का फल बुरा ही होता है ।