
वैसे तो बंदर का स्वभाव ही शरारत करना होता है ,मगर कुछ दयालु बंदर ( Kind monkey ) भी होता है जो अपने मन में इंसानों के जैसा भावना रखता है। शरारत करने के साथ साथ कभी कभी ऐसा भी होता है कि वो लोगो के दुख दर्द को देखता और समझता भी है।
ठीक उसी प्रकार एक गांव में बंदर का आतंक इतना बढ़ गया था कि वहा के सारे लोग परेशान हो गए थे। बंदर कभी भी किसी का समान नुकसान कर देता था तो कभी किसी का खाना भी खा भाया करता था। उसी गांव में एक बूढ़ी औरत भी रहती थी , जो दूसरे के घर से खाना मांग कर लाती थी और बंदर खा जाया करता था ।

बूढ़ी औरत के आशु देख कर बंदर के मन में दया आ गई।
एक बार रोज की तरह वो बूढ़ी औरत खाना मांग कर लाई और घर में रख कर किसी काम से बाहर गई । तभी शरारती बंदर घर में घुस कर उनका सारा खाना खा कर छत पर बैठ गया। फिर थोड़ी देर बाद जब बूढ़ी औरत अन्दर आई तो देखी कि खाना नहीं है, तब वो रोने लगी क्यों कि वो कई दिनों से भूखी थी।
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उस बूढ़ी औरत को रोते हुए देख कर बंदर के आंख में भी आशु आ गया और वो अपने आप पर पछताने लगा। क्यों कि वो औरत उसके वजह से ही कई दिनों से भूखी रह गई थी, ये उसका सारा खाना वही खा कर भाग जाया करता था। इसलिए वो अपने आप पर पछताने लगा और उन्हें मदत करने को सोच लिया।
बंदर छे भावना से वो औरत बहुत खुश हो जाती है।
रोज की भाती जब वो औरत बाहर से खाना मांग कर आती थी तो देखती थी कि उसका पूरा घर साफ सुथरा कर के वहा अच्छे अच्छे फल भोजन वहा रखा हुआ है।ये देख कर वो बहुत चकित हो जाती थी। क्यों कि बंदर भी अपनी शरारती छोड़ कर एक दयालु बंदर ( Kind monkey ) बन गया था।
तभी एक दिन वो औरत ये पता लगाने को सोच ली की आखिर ये कौन करता है, इस लिए बाहर जाने का नाटक कर के घर में ही छुप गई थी। फिर थोड़ी देर बाद वो बंदर आया और घर साफ सुथरा कर के भोजन रख कर चला गया । ये देख कर वो बूढ़ी औरत चकित हो गई और सोचने लगी कि जानवर भी दयालु होते है ।