वैसे तो दुनिया में लोग यही जानते है कि शुरू से लेकर अभी तक किसी न किसी बात के कारण देव लोक और असुर लोग में सिर्फ दुश्मनी ही होती चली आ रही है। मगर एक ऐसी घटना घाटी की देव लोक की अप्सरा और दानव में प्रेम “Love between Apsara and Demon “हो गया , शायद संजोग ही कुछ ऐसी थी ।
कहा गया है कि अगर किसी से प्यार हो जाता है तो वह देव दानव और मानव यहां तक कि उच्च नीच भी नहीं देखता, चाहे इसके लिए किसी से भी बैर हो जाए । ठीक उसी प्रकार देव लोक की अप्सरा और दानव में प्रेम को देख कर सभी लोग नाराज थे , मगर वह दोनों किसी का भी परवाह नहीं किया।

अप्सरा को दानव से दिल मिलने का एक संयोग ही था।

बात उस समय की है जब स्वर्ग लोक से सिंधु नाम की एक अप्सरा धरती पर नदी किनारे फूलों की वाटिका में टहल रही थी। तभी अचानक नदी से निकल कर एक बहुत बड़ा मगरमच्छ सिंधु का पैर पकड़ कर निगलने के लिए नदी में खींचने लगा , सिंधु डर के मारे जोर जोर से चिलाने लगी।
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तभी माहा दलन नाम का एक दानव उस दृश्य को देखा तो उसे दया आ गई और वो तुरंत अपनी कटार से उस मगरमच्छ को मार कर सिंधु को बचा लिया। अपने आप को सुरक्षित पाकर सिंधु उस महा दलन पर फिदा हो गई और शुक्रिया अदा करते करते दोनों में गहरा प्यार हो गया।
प्यार के लिए अगर कुछ भी छोड़ना पड़े तो लोग छोड़ ही देते है।
उन दोनों का प्यार इतना गहरा हुआ कि कोई एक दूसरे के बिना नहीं रह सकता था,इस बात की खबर कुछ ऋषि को हुई तो वो इंद्र के पास चले गए और बोले कि देव राज गजब हो गया। एक देव लोक की अप्सरा और दानव में प्रेम ” Love between Apsara and Demon “हो गया है, आप इसे रोकिए नहीं तो अनर्थ हो जाएगा।
इंद्र भी इस बात को सुनकर क्रोधित हुए और सिंधु को दरबार में बुला कर उस दानव से प्रेम करने से मना किए। लेकिन सिंधु अपनी जिद पर रही और बोली कि हम बेशक इस लोक को छोड़ देंगे लेकिन महा दलन से प्रेम करना नहीं छोड़ेंगे। यही कह कर सिंधु हमेशा के लिए देव लोक छोड़ कर महा दलन के पास चली गई ।