माँ काली के सहारे : आखिर सौतेली माँ का ब्यवहार
एक गांव मे एक छोटा साहूकार रहते है जो कीपहली पत्नी के मरने के बाद दुसरी शादी कर लीए । पहली पत्नी से एक बेटी और एक बेटा है । बेटी का रमा और बेटा का रतन नाम है । फिर दुसरी पत्नी से भी दो बेटी और एक बेटा हो गया । जिसका एक बेटी का सुमन दुसरे का शोनम और बेटा का सुरेश नाम है ।

साहूकार अपने तरफ से सभको बराबर प्यार करते है लेकिन इसकी दुसरी पत्नी रमा और रतन को कभी प्यार नही दी रतन और रमा माँ के प्यार के लीए तरस जाते थे । साहूकार की दुसरी पत्नी इन दोनो के साथ नौकरो के भाती ब्यवहार करती थी । रमा अपने लीए बजार से एक दिन अपने पिता से खिलौना मंगवाई ।

इसके पिता अपने सब बच्चो के लिए खिलौना लाए । रमा के लीए एक काली माँ का छोटा मुर्ति भी लाए । साहूकार रमा को बेले की यह मुर्ति काली माँ का मुर्ति है इन्हे पुजा करोगी और अपना बात बतावोगी तो ऐ तुम्हारी बात जरूर सुनेगी और तुम्हे मा का प्यार भी देगी ।
अखिर मुर्ति पर रमा का बिस्वास हुवा
रमा मुर्ति पाकर बहुत खुश हुई । वो अपने पिता के कहने पर इसे रोज पुजा करने लगी और सौतेली मां इसे जब भी कोई दुख देती वो मुर्ति को एकान्त मे ले जाकर काला मां के मुर्ति से अपना दुख सुनाती थी । उसे काली मां के मुर्ति पर पुरा बिस्वास हो गया था की सौतेली मां दुख देती है लेकिन काली मां हमे मां का प्यार जरुर देगी और हमारा दुख जरुर दुर करेगी । रमा की ऐसी बिस्वास पर काली मां बहुत प्रसन्न थी । इसे अपने उपर बिस्वास के कारन मां काली इसका ख्याल करने लगी
अखिर माँ काली का सहारा मिला
<span;>एक दिन देर से सो कर जगने के कारन सौतेली मां रमा और रतन को डंडे से मार मार कर इन दोनो का हाथ पैर लाल कर दि थी । मार के कारण रमा और रतन को चला नही जाता था रमा मुर्ति लेकर माँ कहकर रो रही थी और रोते रोते अपने हाथ मे मुर्ति लीए सो गई ।
तभी कुछ देर बाद माँ काली प्रगट हुई और इसे अपने गोद मे उठाली उसे प्यार से सहलाते हुवे बोली बेटी तुम चिन्ता मत करो आज से तुम हमारी बेटी हो अब से तुम्हे कोई तकलीफ नही होगी । मॉं की कृपा से उस बची का सारा जख्म ठिक होगई और साथ ही इसके भाई का भी जख्म ठिक होगई ।
फिर मॉं काली क्रोध मे आकर इसकी सौतेली मां को दंड दिया और इसकी सौतेली मां सिढी से गीर गई और उसका दोनो हाथ पैर काम करना बंद हो गया । फिर वो कई डाक्टर से इलाज भी करवाई लेकिन सारे डाक्टर जबाब दे दिए की अब ये ठिक नही हो पायेगी।
बहुत दिन बीतने के बाद रमा देखी की उसकी सौतेली मां रो रही थी और अपने करनी पर पछता रही थी
ये देखकर रहा नही गया और फिर काली माँ को हाथ जोड़कर बोली की हे माता आप हमारी मां को ठिक कर दिजीए इसे अब पछतावा है आप इसे माफ कर दिजीए । तब माँ काली रमा की सौतेली मां को पुरी तरह ठिक कर दिया । रमा की सौतेली मां पुरी तरह से ठिक होने के बाद रमा से हाथ जोङकर माफी मांगी । अब से रमा और इसके भाई को मान जान करने लगी ।