
भाई भाई का बंटवारा : भाई भाई साथ में मिलकर रहते है तो कितना अच्छा होता है ।
एक साहूकार के दो बेटे थे । बड़े बेटे का नाम धनु था और छोटे का मनु था । साहूकार अपने दोनों बेटे को बराबर बराबर प्यार दिया । अपने दोनों बेटे में किसी के साथ भी भेद भाव नहीं किया । दोनों को एक अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाया ताकि दोनों को अच्छी सिक्छा मिल सके ।

धनु और मनु भी आपस में बहुत लगाव रखते थे । एक साथ खेलना कूदना और एक साथ ही पढ़ाई करना । फिर धीरे धीरे दोनों बड़े हुए लेकिन इन दोनों का साथ और प्यार नहीं टूटा । इन दोनों का आपस में इस तरह का प्यार देख कर गांव वाले कभी कभी जलन भी करते थे ।
सदी के बाद भाई भाई का प्यार कुछ कम हो जाती है ।
दोनों अब काफी बड़े हो गए थे । दोनों का उमर देखते हुए साहूकार अच्छी सी लड़की देख कर दोनों की शादी करवा दी ।धनु और मनु अब शादी के बाद अपने पिता के दुकान चलने लगे । दुकान गांव में ही था इसलिए दोनों भाई इसे एक साथ मिलकर चला रहे थे ।
कुछ दिन तक तो सभ ठीक ठाक चल रहा था । लेकिन आगे चल कर आपस में कम काम और जादा काम को लेकर मतभेद शुरू हो गया । फिर धीरे धीरे बात पैसों तक पहुंच गई । दोनों एक दूसरे को ये भी कहने लगे कि तुम कम काम करते हो और जादा खर्चा भी करते हो ।
मन में शक संदेह और दूसरे के बातों में आकर भाई भाई का बैरी हो जाता है ।
आस पास के लोग बीच में माजा ले रहे थे और अगर आपस में कभी कुछ ठीक भी हो रहा था । तभी आस पास के लोग झूठ का बात एक दूसरे से कह कर आपस में टेंशन पैदा करवा देते थे । धीरे धीरे आपस में इतना मतभेद हो गया कि बात बंटवारे तक पहुंच गई । इसके मा बाप बहुत समझाए लेकिन ये लोग नहीं माने ।
अंत में पंचायत बैठाई गई और दोनों को एक दूसरे से अलग कर दिया गया । जमीन जायजाद घर मकान सभी चीज को दो हिस्से में बाट दिया गया । आखिर घर मकान मे तो बंटवारा हुई लेकिन साथ साथ इन दोनों भाई के प्रेम का भी बंटवारा हो गया । उस दिन के बाद अब दोनों एक दूसरे से प्यार की जगह नफरत करने लगे ।
ये कहानी और नाम सभी काल्पनिक है ।
लेखक — रविकांत मोहि