हौसला 2 : इंसान के अंदर हौसला हो तो कुछ भी कर देता है ।

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हौसला 2 : इंसान के अंदर हौसला हो तो कुछ भी कर देता है ।

हरि पुर गांव में जमींदार के डर की वजह से सभी गांव वाले उनके गुलाम बने हुए थे। किसी को भी उनके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं थी और नाही उनके खिलाफ आवाज उठाने की। हरि पुर गांव के जमींदार जिसके साथ जो चाहे वो करते थे । सभी गांव वाले इसके सामने चुपी लगाए रहते थे ।

जमींदार पूरे गांव वाले को सुध पर पैसा देकर उनलोगों का जमीन कब्जा कर लिया करता था । गांव वाले मजबूर होकर कुछ नहीं कह पाते थे । उसी तरह से गिरधर नाम के किसान के साथ भी हुआ । लेकिन गिरधर इसके खिलाफ आवाज उठाई और जमींदार इसे शर्त पूरा करने को कहा ।

कुछ इंसान अपनी घमंड में अहंकारी होता है ।

जमींदार के शर्त के मुताबिक पंचायत में ही कुश्ती की दिन तय हुआ । गिरधर अपने घर चला गया और अपने परिवार में ये बात कहीं तो इसके बीबी डर गई कि जमींदार के पहलवान से ये कुश्ती कैसे लड़ेंगे । फिर कुछ देर बाद गिरधर अंदर से हौसला बनाकर कुश्ती के लिए तैयार हो गए और इसकी तैयारी में लग भी गए ।

फिर कुछ दिन बाद आखिर वो दिन आ ही गया जो कि गिरधर और जमींदार के पहलवान के बीच कुश्ती होना था । उस दिन पूरा गांव वाले कुश्ती देखने अखाड़े पर आए हुए थे और जजमेंट करने के लिए पंचायत के मुखिया सरपंच भी बैठे थे । गिरधर भी अपनी बीबी बच्चों के साथ वह अखाड़े के पास पहुंच गया ।

घमंड आखिर टूट ही जाता है ।

अखाड़े में जमींदार में पहलवान को देखकर गिरधर की हिम्मत टूट गई । फिर अंदर से हौसला बनाकर कुश्ती लड़ने के लिए तैयार हुआ । सारे गांव वाले भी चुपी मार कर खड़े थे । सभी लोग दंग थे कि इतना बड़ा पहलवान से आखिर गिरधर कैसे लड़ेगा । गिरधर भी शर्त के मुताबिक हिम्मत कर के अखाड़े के अंदर चला गया ।

दोनों में कुश्ती चालू हुई और जमींदार के पहलवान बार बार गिरधर पटकने लगा ये देख कर जमींदार बहुत खुश होता था । लेकिन गिरधर अपना हौसला नहीं तोड़ा और एक बार गिरधर भी पहलवान को पटक देता है । ये देख कर गांव वाले गिरधर के सपोर्ट में आवाज देने लगे । गिरधर को और भी ज्यादा अंदर से हिम्मत आ गई और लड़के लड़ते गिरधर आखिर पहलवान को चित कर ही दिया । गिरधर अखाड़े में जीत जाता है।

( आगे की कहानी अगले भाग में मिलेगा )

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