मजबूरी : इंसान का जीवन कब क्या हो जाए किसी को पता नहीं ।

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मजबूरी : इंसान का जीवन कब क्या हो जाए किसी को पता नहीं ।

एक गांव में किशोर नाम का एक बहुत बड़ा सेठ रहता था । इसके बहुत बड़ा कपड़े का दुकान और गोदाम था ।  इसके पास कई सारे आदमी भी काम करते थे । दुकान भी बहुत अच्छा चल रहा था । उसके पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी । इसलिए सेठ का जीवन बहुत ही ऐसों आराम से बीत रहा था ।

किशोर का एक बेटा और एक बेटी थी  । बीबी मा बाप सब थे पूरा परिवार भरा पूरा था । किशोर बहुत ही नेक विचार का था । वो आस पास में सभ का मदद भी किया करता था । किसी को भी दुखी नहीं देख सकता था । धर्म कर्म बहुत अच्छा चल रहा था । पूरे इलाके में किशोर का बहुत इजात और नाम था ।

इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी औलाद ही होता है ।

एक दिन किशोर के बेटे की तबियत बहुत खराब हो गई । किशोर शहर के बड़े से बड़े डॉक्टर से दिखाए मगर किशोर का लड़का ठीक नहीं हुआ । किशोर बहुत परेशान थे वो यही सोच रहे थे कि किसी भी तरह लड़का ठीक हो जाए । डाक्टर उस लड़के को विदेश में ले जाकर इलाज करवाने की सलाह दी । क्यों कि इलाज हो पाना संभव नहीं था ।

किशोर बेटे की मोह में तुरंत विदेश ले गए और अच्छे से एक हॉस्पिटल में इलाज करवाना शुरू कर दिया । उस हॉस्पिटल का चार्ज बहुत ज्यादा था । किशोर को अपने बेटे के मोह में कुछ नहीं सूझ रहा था इसलिए खर्चे से नहीं घबड़ाया बस इसको यही सूझ रहा था कि किसी भी हाल मे लड़का ठीक हो जय ।

मजबूरी इंसान को क्या से क्या करवा देती है ।

महंगे हॉस्पिटल में इलाज होने के कारण लड़का तो धीरे धीरे ठीक हो गया था लेकिन किशोर अपने बेटे के इलाज करवाने में बिल्कुल बर्बाद हो गया था । इलाज में बहुत ज्यादा पैसा लग गया । यहां तक कि इसका दुकान और गोदाम दोनों बेचना पड़ा और साथ ही अपना घर भी गिरवी रख कर इलाज के लिए पैसे ले लिया था ।

किशोर अपने बेटे के इलाज करवाने में इतना बर्बाद हो गया कि अब इसके पास रहने खाने के लिए भी बहुत मुश्किल हो गए थे । पहले इसके पास बहुत संपति हुआ करती था और कई लोग इसके पास काम भी किया करते थे । लेकिन अब अपने पावर के पालन पोसन करने के लिए खुद दूसरे के पास मजबूरी में मजदूरी करनी पड़ी ।

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