गुनाहगार : कैसे लोग मजबूरी में ना चाहते हुए भी गुनाह कर देते है ।

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धनु पुर गांव में एक सरजू नाम का जमींदार रहता था । वो उस इलाके में बहुत दब दबा बनाए रखा था । वहा के लोगों को इसकी खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं थी । सरजू अपना वहा के सासन प्रशान में भी अपना धाक बनाए रखा था । उसके पास पावर और पैसा सब कुछ था । इसलिए सभ इससे डरते थे ।

उसी गांव में किशोर नाम का एक गरीब लड़का भी रहता । जो कि मजदूरी करके अपने परिवार को चलाया करता था । उसकी एक सोनी नाम की छोटी बहन थी । जो कि ईटर की पढ़ाई कर रही थी । किशोर अपनी बहन से बहुत प्यार करता था । इसलिए उसकी पढ़ाई और परवरिश में कोई कमी नहीं कि।

दबंगों के पावर के आगे गरीब मजबूर होता है ।

एक बार सोनी अपने कॉलेज से अपने घर आ रही थी । तभी उसी रास्ते से सरजू जमींदार भी आ रहा था । वह सोनी को देख कर उस पर अपना गलत निगाह कर के इसके साथ मनमानी करना चाहा । लेकिन सोनी उसका विरोध किया तो सरजू इसपर क्रोधित कर के उसे जान से मार डाला ।

सोनी के भाई किशोर जब अपनी बहन के मौत का खबर सुना तो दौड़ कर रोते हुए वहां पहुंचा और इस बात का कंप्लेन वहा के नजदीकी पुलिस स्टेशन में किया । लेकिन वहा के प्रशासन पहले से ही जमींदार से मिली हुई थी । इसलिए किशोर के कंप्लेन पर भी पुलिस जमींदार पर कोई एक्शन नहीं लिया ।

इंसाफ नहीं मिलने के कारण लोग खुद गुनहगार हो जाते है ।

वहा की पुलिस उल्टे किशोर को ही डाट कर थाना से भगा दिया । किशोर को इस बात पर बहुत तकलीफ हुई कि प्रशासन भी गरीब का मदत नहीं करता । किशोर अपनी बहन से बहुत प्यार करता था । इसलिए उसका मौत बर्दाश नहीं कर सका । इसलिए किशोर गुस्से में आकर जमींदार को जान से मार डाला । जमींदार के मौत पर किशोर को पुलिस अरेस्ट कर लिया और सजाए देने के लिए कोर्ट में केस फाइल किया ।

जब कोर्ट में जज किशोर से इसका कारण पूछा तो किशोर जज साहब से सारा सच्चाई बता दिया और कहा कि हजूर प्रशासन से हमें इंसाफ मिल गया होता तो हम गरीब से ऐसी गुनाह कभी नहीं होता । जज किशोर के बात को समझते हुए इसे बस कुछ दिन की सजा सुनाई और प्रशासन में जो मन मानी किए थे । उसको नौकरी से बर्खास्त कर के दो साल की सजा सुना दिए ।

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