जल पारी : स्वर्ग की पारी तो सभ जानते है लेकिन जल पारी को देख कर लोग चकित हो गए ।

0
35

यह एक हिंदी कहानी है जो कि गंगा नदी के किनारे एक धनु पुर नाम का गांव था जहां पर ज्यादा तर लोग गरीब ही थे । इसलिए वहा के लोग अपना जीविका चलाने के लिए कुछ लोग मजदूरी करते थे तो कुछ लोग नदी से मछली मार कर मार्केट में जाकर बेचा करते थे । इसी तरह से उन लोगों अपना गुजारा हुआ करता था ।

उसी गांव में रतन नाम का एक मछुआरा लड़का था जो कि रात में उस नदी में जाल लगा दिया करता था और सुबह में उस जाल से मछली निकाला कर बाजार में बेचा करता था । वो जिस तट पर से मछली निकालता था वो वहा पर साफ सुथरा करके वहा फूल के वृक्छ भी लगाया हुआ था जो कि देखने में काफी सुंदर लगता था ।

रात को अकेले तट पर लड़की देख कर रतन चकित हो गया ।

एक दिन रतन रात को नदी में जाल लगाने गया तो देखा कि नदी के तट पर फूलों के बीच एक लड़की फूलों को तोड़ कर उसके साथ खेल रही थीं और उसके सुगंध का आनंद ले रही थीं । उस दिन चांदनी रात थी इस लिए उसका चेहरा साफ साफ दीखाई दे रहा था वो देखने में बहुत सुंदर और चेहरे पर मुस्कान था ।

रतन छुप कर उसे देखने लगा , उस रात जाल नहीं लगा पाया । रतन देखा कि वो लड़की फूलों के साथ बहुत देर खेलने के बाद नदी में चली गई और सुबह तक पूरा दिन नहीं निकली । रतन अपने घर आ गया और फिर रात को गया तो देखा कि वही लड़की फिर से उस तट पर फूलों के साथ खेलने आई हुई थी फिर खेल कर नदी में चली गई ।

जल पारी कैसे उस रतन के गरीबी को दूर कर दी ।

रतन बहुत सोच में पड़ गया कि आखिर ये कैसी जादुई लड़की है जो तट पर फुल के साथ खेल कर नदी में चली जाती है । इसलिए इस बात की जानकारी करने के लिए रतन रोज की भाती साम को वहा छुप कर बैठ गया  और देखने लगा । रतन देखा कि वो खूबसूरत लड़की नदी से ही निकल कर तट पर फूलों के बीच आती है ।

वो लड़की तट पर फूलों से खेलने लागी रतन तुरंत उसके सामने चला गया , और पूछा कि आप कौन हो , तो वो पलपहले तो चौक गई लेकिन फिर बोली कि मैं जल पारी हु । मुझे फूलों की सुगंध बहुत पसंद है इसलिए रोज रात को मैं यहां आकर इस फुल का आनंद लेती हु ।

फिर बोली कि मैं सभ जानती हु कि तुम्हे हमारे वजह से बहुत नुकसान हुआ है । तुम नदी में जाल लगा कर मछली नहीं निकाल पाते हो , इसलिए उसके एवज में मैं  तुम्हे एक सोने की अंगूठी देती हु । जो तुम्हारे धन की कमी को दूर कर देगा , यही कह कर वो पारी नदी में चली गई । रतन बहुत खुश हुआ और वहा से घर आ गया ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here