
यह एक हिंदी प्रेरक कहानी है, जो कि एक गांव में सरजू नाम का एक किसान रहता था जो कि शहर से पढ़ाई कर के अपने गांव पर ही आकर खेती बारी का काम कर रहा था । सरजू अपने गांव के सारे किसानों से सबसे ज्यादा होशियार और तेज था । इसलिए खेती का काम भी सभी किसानों के अपेक्षा बहुत तरीके से किया करता था ।
सरजू अपने खेत में एक सीजन में एक साथ कई फसल उगा कर उससे बहुत ज्यादा मुनाफा कमाया करता था । ये देख कर वहा आस पास के सभी किसान उससे जलते रहते थे । सरजू बहुत दयालु था और वो हमेशा दूसरी को मदत भी किया करता था , चाहे इंसान हो या पशु पंछी ।

सरजू को कौवे के छोटे बच्चे को भूखा देख कर दया आ गई ।
एक दिन सरजू अपने खेत में काम कर के एक पेड़ के पास बैठ कर दोपहर का भोजन कर रहा था । तभी उसे कुछ कौवे के बच्चे को चिल्लाने की आवाज सुनाई दी , शायद कौवे के बच्चे भूखे और प्यासे थे इसलिए घोंसले से बाहर अपना मुंह निकाल कर चिला रहे थे, कौआ भी वह नहीं था ।
कौवे के बच्चे को देख कर सरजू को दया आ गई , फिर वो अपने थाली से रोटी और डिब्बे में पानी लेकर पड़ पर चढ़ कर उस कौवे के बच्चे को खिलाने लगा । तभी कौवा वहा आ जाता है और सरजू को अपने बच्चे को खाना खिलाते हुए देख कर बहुत खुश हुआ, क्यों कि उस दिन कौवे को अपने बच्चे के लिए कही दाना नहीं मिला था ।
दूसरे को मदत करने वाले को मदत जरूर होती है ।
उस दिन से सरजू रोज उस बच्चे को खाना खिलाया करता था , कौवा भी मन ही मन सरजू का एहसान मानने लगा था । सरजू को देख कर जलने वाले में एक रतन नाम का किसान था जो कि अपने द्वेश में आकर एक सपेरे से सांप लेकर सरजू को कटवाने का प्लान बनाया ।
जब सरजू दोपहर का खाना खाकर उसी पेड़ के नीचे लेटा था । तभी रतन वो सांप उसे काटने के लिए छोड़ दिया , ये सभ पेड़ पर बैठा कौवा सभ देख रहा था । सांप सरजू के पास आकर ज्यों ही काटना चाहा , तभी कौवा आवाज लगाते हुए आया और सांप को अपने चोंच में उठा कर दूर फेक दिया ।
सरजू ये देख कर दंग रह गया कि आज उस कौवे ने उसकी जान बचा दिया । सरजू उस दिन से सजक और सम्भल कर भी रहने लगा । इसी लिए कहा गया है कि जो दूसरे का भला करता है , उसका भी भला जरूर होता है । जिस तरह सरजू को उस कौवे के द्वारा हुआ था ।