
यह एक हिंदी प्रेरक कहानी है जैसे कि, हरि पुर नाम का एक गांव था जहां पर ज्यादा तर लोग गरीब किसान ही रहा करते थे । उसी गांव में दिनबंधु नाम का एक किसान भी रहता था । जो अपने गांव में ही खेती बारी का काम कर के बहुत मुश्किल से अपने परिवार का भरण पोषण कर पाता था । वो अपने खेत में गन्ने का फसल बोए हुए थे ।
एक दिन सुबह जब दीनबंधु अपने खेत पर गया तो देखा कि एक तरफ से कुछ गन्ने गायब थे , ये देख कर बहुत चकित हुआ और सोचा कि रात को इसकी जासूसी करते है । फिर यही सोच कर दीनबंधु रात को अपने खेत में छुप कर बैठ गया और गन्ने काटने वाले का इंतजार करने लगा ।

दीनबंधु के मन में किस तरह उसके मन में लोभ आ गई ।
तभी रात को बारह बजे स्वर्ग से एक सफेद रंग का हाथी उसके खेत में आकर गन्ने खाने लगी । दीनबंधु छुप कर सभ कुछ देख रहा था , फिर हाथी गन्ने खा कर जब स्वर्ग के तरफ जाने लगी तो दीनबंधु उसका पूछ पकड़ कर वो भी स्वर्ग में चला गया । स्वर्ग में जाने के बाद दीनबंधु का वहा पर खूब खातिरदारी हुआ ।
गांव में गरीबी में अपना जीवन बिताने वाला दीनबंधु स्वर्ग की खातिरदारी देख कर अपने परिवार को भी यहां लाने को सोचने लगा । इसलिए जब रात को हाथी फिर से उसके खेत में गन्ने खाने आ रही थी तो दीनबंधु उसका पूछ पकड़ कर धरती पर आ गया और अपने घर जाकर अपने पत्नी से स्वर्ग का सारा सुख बता कर किसी को बिना बताए अपने पूरे परिवार को स्वर्ग चलने को कहा । ये सुन कर उसकी पत्नी खुश हो गई ।
उसकी पत्नी दिन में जब तैयार हो रही थी तो एक औरत उसके घर आई और उसके पत्नी को तैयार होते देख कर उससे पूछने लगी कि कहा जा रहे हों । तब उसकी पत्नी उस औरत से बता दी कि हम सभ स्वर्ग जा रहे हैं । क्यों कि वहा पर फ्री का अच्छे अच्छे भोजन मिलेंगे और सेवा के लिए दास और दासी भी मिलेंगे ।
ज्यादा उतावले में होश खोना सभी को भारी पड़ गया ।
ये सभ सुन कर वो भी जाने के लिए तैयार हो गई और उसके द्वारा धीरे धीरे पूरे गांव में ये बात फैल गई । पूरे गांव वाले भी तैयार होकर रात को दीनबंधु के खेत में पहुंच गए । सभी लोग हाथी को आने का इंतजार करने लगे , फिर बारह बजे जब हाथी गन्ने खाने आया और खा कर जाने लगा तो दीनबंधु उसका पूछ पकड़ कर लटक गया ।
फिर बारी बारी से सभी एक दूसरे का पैर पकड़ कर लटक गए । तभी बहुत ऊंचा जाने के बाद एक ने पूछा कि दीनबंधु भाई स्वर्ग कैसा है तो दीनबंधु बोला कि नारंगी की तरह गोल है । फिर किसी ने पूछा कि कितना बड़ा है तो दीनबंधु ने हाथी का पूछ छोड़ कर बोला कि की इतना बड़ा है । हाथी का पूछ छोड़ते ही सारे लोग एक दूसरे के ऊपर जमीन पर गिर गए , इस तरह किसी का हाथ टूटा तो किसी का पैर , इसीलिए जोश में होश नहीं खोना चाहिए ।