यह एक हिंदी भक्तिGrace of Mata Vaishno Devi कहानी है जैसे कि एक गांव में शंभू नाम का एक पुजारी रहते थे, वो माता वैष्णो देवी का बहुत बड़ा भक्त थे। वो अपने घर रोज सुबह साम माता वैष्णो देवी की पूजा पाठ करते रहते थे और अपने गांव में ही कुछ जजमान के यहां पूजा पाठ करवा कर मिले हुए दक्षिणे के पैसे से अपना परिवार चलाया करते थे।
शंभू ब्यौहार के बहुत अच्छे और सच्चे इंसान थे , उनकी माता वैष्णो देवी की भक्ति को देख कर सारे गांव वाले बहुत खुश रहते थे। लेकिन उसी गांव में एक हरि नाम का पुजारी भी थे, वो भी गांव में जजमान के यहां पूजा करवाते थे। लेकिन शंभू की गांव में बाह बाही देख कर हरि के मन में हमेशा जलन रहती थी ।

किस तरह से कुछ लोग दूसरे का तारीफ सुनकर जलते हैं ।

तभी एक दिन हरि अपने किसी जजमान के यहां पूजा करवाने जा रहे थे और रास्ते में ही एक चौपाल पर कुछ लोग बैठे थे। उसी समय एक बाहर का व्यक्ति जिसे अच्छे पुजारी की जरूरत थी । वो चौपाल के लोग से पूछा तो लोग शंभू के भक्ति और अच्छा पुजारी बता कर तारीफ कर रहे थे ।
हरि छुप कर शंभू का तारीफ सुन रहे थे और सुनते सुनते उनको गुस्सा आ गया, फिर सबके सामने आ कर गुस्से में शंभू को नीचा दिखाते हुए कहने लगे कि, वो लोगों के सामने माता वैष्णो देवी के सच्चे भक्त बनने का ढोंग करता है । अगर ऐसा नहीं है तो सभी लोग उससे कहिए कि वो अपनी भक्ति से कोई मा का चमत्कार दिखाए ।
हरि के मुख से शंभू को भक्ति का चैलेंज की बात पर सभ लोग राजी हुए और फिर सारे लोग शंभू से हरि की बात बताई। पहले तो शंभू चैलेंज की बात से इनकार कर दिया लेकिन लोगों के कहने पर राजी हुआ , अगले दिन सबके सामने माता वैष्णो देवी की मूर्ति रख कर अपना अर्जी लगाने लगा ।
माता वैष्णो देवी अपने सच्चे भक्त हमेशा लाज रखती है ।
शंभू को वैष्णो देवी का अर्जी लगाते हुए बहुत देर हुआ लेकिन कोई चमत्कार नहीं देख कर , हरि उसके भक्ति का मजाक उड़ाने लगा । हरि का मजाक देख शंभू के साथ साथ लोगो का भी मन निराश होने लगा, तभी कुछ देर बाद शंभू और गांव वालो ने देखा कि मूर्ति के सामने मां का चरण चिन्ह बना हुआ है और हरि का हाथ का हाथ मुंह टेढ़ा हुआ था ।
शायद मा वैष्णो देवी अपने सच्चे भक्त को नीचा दिखाने की सजा हरि को दी थी। फिर शंभू माता से हरि के तरफ से माफी मांग कर उसे माफ करने का अर्जी किया , तभी उसका हाथ मुंह फिर से सीधा हो गया। ये सभ चमत्कार देख कर सारे लोग माता वैष्णो देवी के जय जय कार करने लगे और शंभू के भक्ति को भी सराहने लगे ।