एक गांव में बलदेव नाम का एक किसान रहा करता था और उसके दो लड़के थे। जिसका नाम रोहन और रमेश था। बलदेव अपने दोनों लड़को के प्यार दुलार में कभी कमी नहीं किया,वो अपने लड़कों का जरूरत पूरा करने के लिए दिन रात खेत में काम करता रहता था ताकि बेटा भी बड़ा होकर अपना फर्ज निभाए ( Duty of a son )
उसी गांव में एक मोहन नाम का भी किसान रहता था , जिसके लड़के का नाम सोनू था। बलदेव का लड़का जिस स्कूल में पढ़ाई करते थे, उसी स्कूल मे मोहन का भी लड़का पढ़ाई कर रहा था। लेकिन जितना बलदेव अपने लड़कों का जरूर पूरा करता था उतना मोहन नहीं कर पाता था ।

एक पिता अपना फर्ज निभाने कोई कमी नहीं करता।

धीरे धीरे समय गुजरता गया और दोनों के लड़के बड़े हुए, फिर पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों के लड़के नौकरी भी करने लगे। दोनों ने समय के साथ साथ अपना फर्ज निभाते हुए अपने अपने लड़के का शादी भी कर दिए , ताकि वो सभ भी अपना जीवन की जिम्मेदारी संभाल सके।
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लेकिन बलदेव के दोनों लड़के को नौकरी करते हुए भी उसे आज भी खेती में दिन रात काम करना पड़ता था। क्यों कि बलदेव के दोनों लड़के अपने कमाई का एक भी पैसा अपने पिता को नहीं देते थे, लेकिन मोहन का लड़का अपने कमाई का सारा पैसा अपने पिता को लाकर दे दिया करता था।
जब लड़का बुढ़ापे में साथ नहीं देता है तो बहुत तकलीफ होता है।
एक बार बलदेव को खेत में काम करने से उसका तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई, क्यों कि उमर भी ढल गया था। लेकिन बलदेव के लड़के को अपने पिता के तबियत का थोड़ा भी ख्याल नहीं आया, नहीं अपना फर्ज निभाया ( Duty of a son ) वो जैसे तैसे दूसरे से पैसा उधार लेकर छोटे मोटे क्लिनिक से दवाई लेकर खाता था।
तभी कुछ दिन बाद मोहन का भी तबियत थोड़ा खराब हो गया। इसके लड़के को जैसे ही मालूम हुआ वो तुरंत नौकरी से छुटी लेकर अपने पिता का अच्छे हॉस्पिटल में इलाज करवाया और दवाई के साथ साथ फल भी लाकर दे रहा था। ये देख कर बलदेव के आंख से आशु आ गए कि हमारा दो दो लड़का है लेकिन एक ने भी ख्याल नहीं किया और मोहन का एक ही लड़का है जो उसका बराबर ख्याल रखता है ।